Editorial:पंजाब में नशे, भ्रष्टाचार, अपराध के खिलाफ अंतिम जंग जरूरी
- By Habib --
- Wednesday, 19 Mar, 2025

Final battle against drugs, corruption and crime is necessary in Punjab
Final battle against drugs, corruption and crime is necessary in Punjab: आम आदमी पार्टी के राष्ट्रीय संयोजक अरविंद केजरीवाल की पंजाब में नशे, भ्रष्टाचार और संगठित अपराध के खिलाफ अंतिम लड़ाई की घोषणा बेहद स्वागत योग्य और प्रशंसनीय है। पंजाब वह राज्य है, जोकि आज देश में सर्वाधिक रूप से इन समस्याओं से जूझ रहा है और राज्य की मान सरकार का यह धर्म है कि वह इन समस्याओं को समाप्त करने के लिए काम करे। मुख्यमंत्री भगवंत मान के नेतृत्व में राज्य सरकार ने जिस प्रकार नशे के खिलाफ युद्ध छेड़ा हुआ है, उसके सार्थक परिणाम सामने आ रहे हैं। राज्य में नशे के सौदागर भयभीत हो गए हैं और अब नशाखोरी में संलिप्त लोग भी खैर मना रहे हैं।
अरविंद केजरीवाल पंजाब में अपनी पार्टी की सरकार की बेहतरी और उसके द्वारा जन सरोकारों के लिए काम कर रहे हैं, जोकि सराहनीय है। उनका यह कहना कि पहली अप्रैल से राज्य में नशीली दवाओं के खिलाफ जन आंदोलन शुरू किया जाएगा उचित है। गौरतलब है कि पंजाब में लंबे समय से ऐसे हालात हैं, जब नशा तस्करों ने इस राज्य को अपनी सैरगाह बना लिया है और इसमें राजनीतिक भी उनका साथ दे रहे हैं। आज राजनीति में सिद्धांत नहीं रह गए हैं और पैसे के बूते पावर हासिल करके लोग राजनीति में आकर खुद को और पावरफुल बना लेते हैं। नशे की सौदागरी इसमें उनकी मदद करती है। पूर्व मुख्यमंत्री केजरीवाल का यह कहना सर्वथा उचित ही है कि राजनीतिक दल के लोगों ने घर-घर नशा भिजवाया है। संभव है, इसी वजह से आज राज्य की यह स्थिति है।
पंजाब सरकार और इसकी पुलिस की आज देशभर में चर्चा है। इसकी वजह वह साहसिक कदम है, जिसने नशा तस्करों की नाक में दम कर दिया है। बताया गया है कि राज्य सरकार बीते दो साल से इसके लिए काम कर रही थी और अब अंतिम प्रहार शुरू कर दिया गया है। मुख्यमंत्री भगवंत मान राज्य पुलिस को नशा तस्करों पर कार्रवाई करने की पूरी छूट दे चुके हैं और इसमें कोई राजनीतिक हस्तक्षेप स्वीकार नहीं किया जा रहा है। कुछ समय पहले मुख्यमंत्री की ओर से पुलिस अधिकारियों से यह सवाल किया गया था कि लोगों को इसकी जानकारी है कि नशीले पदार्थ कहां बिकते हैं, लेकिन एक थाने के प्रभारी को इसकी जानकारी क्यों नहीं हो पाती? वास्तव में अपराध की रोकथाम कुछ मिनट का काम हो सकता है, लेकिन अगर किसी इलाके में अपराध अनियंत्रित हो जाए तो इसकी जिम्मेदारी संबंधित थाने के प्रभारी की ही मानी जाएगी।
क्योंकि ज्यादातर मामलों में यही देखने को मिलता है कि पुलिस को सारी जानकारी होती है, लेकिन इसके बावजूद वह कार्रवाई नहीं करती। हालांकि पंजाब में अब पुलिस प्रणाली में काफी सुधार नजर आ रहा है और पुलिस तंत्र को जवाबदेह बनाने के लिए राज्य सरकार पुरजोर तरीके से कार्यरत है। इसकी बानगी इससे भी मिलती है कि राज्य सरकार के मंत्री, विधायक, सांसद लगातार नशे के खिलाफ मुहिम चला रहे हैं।
गौरतलब है कि पंजाब के इतिहास में ऐसा पहली बार हुआ है कि एक सरकार ने राज्य में नशा मुक्ति के लिए सार्वजनिक अरदास कराई। मान सरकार ने ही यह अरदास पवित्र शहर अमृतसर में श्री हरमंदिर साहिब में की गई थी। इससे मालूम होता है कि राज्य सरकार नशे के खिलाफ कार्रवाई के लिए कितनी संजीदा है। दरअसल, पंजाब के लिए नशाखोरी अभिशाप बन चुकी है और रोजाना ऐसी रपट दिल दहला देती हैं, जब परिजनों को अपने युवा बच्चों का अंतिम संस्कार करते हुए देखा जाता है। नशे की वजह से उनकी जान जा रही है और यह सिलसिला बंद होने का नाम नहीं ले रहा। राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (एनसीआरबी) की बीते वर्ष की रिपोर्ट के अनुसार, राज्य अब मादक पदार्थों के उपयोग और तस्करी के मामले में तीसरे स्थान पर आ गया है। रिपोर्ट से पता चला कि एनडीपीएस अधिनियम के तहत दर्ज 10,432 एफआईआर के साथ उत्तर प्रदेश अब शीर्ष स्थान पर है, इसके बाद महाराष्ट्र (10,078) और पंजाब (9,972) का स्थान है।
चंडीगढ़ स्थित पोस्ट ग्रेजुएट इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल एजुकेशन एंड रिसर्च (पीजीआईएमईआर) के सामुदायिक चिकित्सा विभाग की एक रिपोर्ट बताती है कि 30 लाख से अधिक लोग या लगभग पंजाब की 15.4 फीसदी आबादी इस समय नशीले पदार्थों का सेवन कर रही है। ऐसी भी रिपोर्ट हैं कि पंजाब में हर साल करीब 7,500 करोड़ रुपये का ड्रग्स का कारोबार होने का अनुमान है। वास्तव में एक सरकार के संकल्प के समक्ष बड़े से बड़े अपराधी भी घुटने टेक सकते हैं। पंजाब में आप सरकार ने अगर नशे एवं अन्य बुराइयों के खिलाफ युद्ध छेड़ा है, तो इसमें जनता को भी साथ आना चाहिए। यह जंग अकेले नहीं जीती जा सकती है। पंजाब को रंगला बनाने के लिए नशाखोरी को समाप्त करना ही होगा।
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